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Friday 8 March 2019

महिला दिवस, '19

8 मार्च का स्वागत है लेकिन कुछ गौर करना आवश्यक है।

आज सभी के साथ हम सब भी "महिला दिवस" के माहौल में मश्गूल हैं। लोग जगह-जगह, मेरी तरह ही अपने उद्गार गिराते चल रहे हैं। पलट कर देखने पर किसी मवेशी द्वारा सड़क पर छोड़े गए अवशेष की तरह दिखाई दे रहे हैं ये। मात्र अनावश्यक गन्दगी।
हो भी क्यों न। ये ऐसा दिन है जिसकी आड़ में,
साल भर अपनी hipocracy और chauvinism में लिपटे कामों में लड़कियों पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार करने वाले लोग,
आज के दिन का इस्तेमाल अपनी छवि सुधारने में करते हैं।
आश्चर्य होता है देखकर कि जिस व्यक्ति को एक क्षण नहीं लगता अपनी बातों से किसी दुपट्टे वाली की इज़्ज़त उतारते या दरवाज़े के पीछे से,
विरोध जता रही किसी "निक्करवाली" को औकात याद रखने की नसिहत देते।
वैसा नीच आदमी भी आज बैनर लेकर महिलाओं के हक़ की आवाज़ लगाने निकल पड़ता है।
इसलिए, उन सभी girls, sisters, ex-es, friends, enemies, professionals, aunts, mothers... से विनती है कि आप life में जिस भी social-role में व्यस्त हैं। ऐसे लोगों की हुँकारों से बचें। ये खलु जीव, आपके हौसलों के पर को सबसे पहले काटने आएंगे। इसलिए, हर किसी को परे रख सिर्फ, अपने आप को साथ लेकर आगे बढिए। इस लड़ाई में भाग्यवश, कोई आपके साथ नहीं खड़ा है।
सोचता हूँ क्या आप की महत्ता इतनी ही रह गयी है कि "एक दिन दे दिया न, अब कैंची जैसी ज़बान बन्द रखो।"
अपनी महिला वाले रूप से ऊपर उठिये। Equal rights के बदले EQUITY के लिए आवाज़ उठाइये।
आपको सम्मान इसलिए थोड़े ही मिलना चाहिए क्योंकि आपके किसी undeservant-male-counterpart को मज़बूरी में मिल रहा है। शायद इसीलिए, आज हम "महिला" दिवस मना रहे हैं।
महिला - पुरुष के विलोम का शब्द।
आप इतने में ही सिमटी हुई हैं क्या?
मैं नहीं मानता। आप तो नारी हैं, स्त्री हैं, औरत हैं, वनीता हैं, अबला हैं, कान्ता हैं, चपला हैं।
सब कुछ हैं बस इस तुच्छ पुरुष का विपरीत मात्र नहीं हैं।