Search This Blog

Tuesday 14 April 2020

---- कोरोनामर्दिनि-स्तुति ----

नमन तुम्हें दुर्गे है मेरा,
नमन करो स्वीकार।
सृष्टि अबकी त्राहि-त्राहि करे,
में जन-जन हाहाकार।
दुर्गे नमन करो स्वीकार।

ड्यूटी पर जितने हैं कर्मी,
है उचित जहाँ व्यवहार।
निश्चित हैं सच्चे वो धर्मी,
जय नव-पीढी के कुम्हार।
दुर्गे नमन करो स्वीकार।

इस संकट में नासिका हमारी,
भीगी जैसे करतार।
है बन बैठी जब नाक तुम्हारी,
अब खींच भी लो तलवार।
दुर्गे नमन करो स्वीकार।

ये असुर भी हैं पूरे ही ततपर,
जहाँ लोग बने हथियार।
हम बाँधें हैं हाथों को कसकर,
केवल तुम्हीं रही आसार।
मैय्या नमन करो स्वीकार।

अबतक जितना है जग में,
सब आपका ही तो है अम्बार।
कृपा सदा बस बनी रहे औ,
ग्रहण हो सबके नित आभार।
दुर्गे नमन करो स्वीकार।

आपकी दृष्टि होती है जो,
होते हैं निज पर उपकार।
इस जीवन में साँसों के संगी,
हैं जुड़े आपके सब उपहार।
दुर्गे नमन करो स्वीकार।

कुल की हो तुम अनंत मातु-वट,
तुम्हें सब दिन पूजे हैं नर-नार।
सदा निश्चिंत हो ध्यावें सब धन,
तुम सबकी पालनहार।
दुर्गे नमन करो स्वीकार।

देवी वैष्णव, काली, अम्बा, कपालिनी;
अन्नपूर्णा, जगदम्बे, शक्ति, कोरोनामर्दिनि;
जय विंध्यवासिनी, भवानी, ताराचण्डी;
माँ मुंडेश्वरी, शारदा, महिषासुरमर्दिनि;
हे कोरोनामर्दिनि, नमस्ते जीवन-दायिनी।
सुखदेव-नमन देवी धरें, नमस्ते नारायणी।

2 comments:

  1. बेहतरीन स्तुति मित्र ,यह मानव स्वभाव के अंतर्मन को प्रदर्शित करती हुई उसके भाव-भंगिमाओं के साथ साथ अपने देव के प्रति समर्पण भाव की स्पष्ट झलक दिखाता है |

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद नहीं आभार ग्रहण करें भैया।

    ReplyDelete